आये हैं समझाने लोग
हैं कितने दीवाने लोग
दैर-ओ-हरम में चैन जो मिलता
क्यों जाते मैख़ाने लोग
जान के सब कुछ, कुछ भी न जाने
हैं कितने अंजाने लोग
वक़्त पे काम नहीं आते हैं
ये जाने पहचाने लोग
अब जब मुझ को होश नहीं है
आये हैं समझाने लोग
---------------महेन्द्र सिंह बेदी 'सहर'