तू नहीं तो ज़िंदगी में और क्या रह जाएगा,
दूर तक तन्हाइयों का सिलसिला रह जाएगा।
दर्द की सारी तहें और सारे गुज़रे हादसे,
सब धुआँ हो जाएँगे एक वाक़िया रह जाएगा।
युं भी होगा वो मुझे दिल से भुला देगा मगर,
ये भी होगा ख़ुद से उसी में एक ख़ला रह जाएगा।
दायरे इंकार के इकरार की सरग़ोशियाँ,
ये अगर टूटे कभी तो फ़ासला रह जाएगा।
---------------------इफ्तिखार इमाम सिद्दीकी