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Monday, May 4, 2009

तुम्हारे शहर का मौसम

तुम्हारे शहर का मौसम बडा सुहाना लगे,

मै एक शाम चुरालु अगर बुरा ना लगे.

तुम्हारे बस मे अगर हो तो भूल जाओ हमे,

तुम्हे भुलने मे शायद मुझे ज़माना लगे.

हमारे प्यार से जलने लगी है दुनिया,

दुआ करो कीसी दुश्मन की बद्दुआ ना लगे.

न जाने क्या है उसकी बेबाक आखो मे,

वो मूह छुपा के जाये भी तो बेवफ़ा ना लगे.

जो डूबना है तो इतने सुकून से डूबो,

के आसपास की लहरो को भी पता ना लगे.

हो जीस अदा से मेरे साथ बेवफ़ाइ कर,

के तेरे बाद मुझे कोइ बेवफ़ा ना लगे.

वो फूल जो मेरे दामन से हो गया मन्सूब,

खुदा करे उन्हे बाज़ार की हवा ना लगे.

तुम आख मून्द के पी जाओ ज़ीन्दगी 'क़ैसर',

के एक घूट मे शायद बदमज़ा ना लगे.

----------------------------क़ैसर-उल-जाफ़री