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Saturday, July 4, 2009

दो बदन

जब चली ठंडी हवा जब उठी काली घटा
मुझ को ऐ जान-ए-वफा तुम याद आए
जिंदगी की दास्‌ता. चाहे कितनी हो हसी
बीन तुम्हारे कुछ नही
क्या मजा आता सनम. आज भूले से कही
तुम भी आ जाते यही
ये बहारे ये फिजा. देखकर ओ दिलरुबा
जाने क्या दिल को हुआ. तुम याद आए
ये नजारे ये समा और फिर इतने जवां
हाय रे ये मस्तीया
ऐसा लगता हैं मुझे जैसे तुम नजदीक हो
इस चमन से जान-ए-जां
सुन के पी पी की सदा दिल धडकता हैं मेरा
आज पहले से सिवा. तुम याद आए

----------------------------शकील बदायुनी