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Monday, February 8, 2010

कुछ तो मैं

कुछ तो मैं भी बहुत दिल का कमज़ोर हूँ
कुछ मुहब्बत भी है फ़ितरतन बदगुमाँ

तज़करा कोई हो ज़िक्र तेरा रहा
अव्वल-ए-आख़िरश दरमियाँ दरमियाँ

जाने किस देश से दिल में आ जाते हैं
चांदनी रात में दर्द के कारवाँ

-------------------बशीर बद्र