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Saturday, February 27, 2010

इस होली पे

इस होली पे यदि तुम न आए
तो मैं तुमसे रूठ जाऊँगी

किया था जो सखियों से वादा
तुमको उनसे मिलवाऊँगी
कैसे वादा अपना निभा पाऊँगी
इस होली पे यदि तुम न आए
तो मैं तुमसे रूठ जाऊँगी

बना रही हूँ
जो अपने हाथों से
प्रेम रंग
फिर वो किसको लगाऊँगी
इस होली पे यदि तुम न आए
तो मैं तुमसे रूठ जाऊँगी

कैसे तुम्हारे बिना
पकवानों की मिठास चख पाऊँगी
इस होली पे यदि तुम न आए
तो मैं तुमसे रूठ जाऊँगी

मालूम है मुझे तुम
जेठ की छुट्टियों में आओगे
तुम ही बताओ
तब भला मैं कहाँ से
फूलों की बहार लाऊँगी
इस होली पे यदि तुम न आए
तो मैं तुमसे रूठ जाऊँगी

ना मैं तुम्हें
पीली सरसों का हाल बताऊँगी
न पाती भेज कर
गाँव की मिटटी सूँघाऊँगी
इस होली पे यदि तुम न आए
तो मैं तुमसे रूठ जाऊँगी

ना सोमवार को मन्दिर
तुम्हारे लिए जाऊँगी
न देख कर चाँद को मुस्कराऊँगी
इस होली पे यदि तुम न आए
तो मैं तुमसे रूठ जाऊँगी

बादल भइया से कह कर
सावन में तुमको तड़पाऊँगी
ना रिमझिम बरसातों में
मधुर गीत सुनाऊँगी
देख लेना इस होली पे
यदि तुम न आए
तो मैं तुमसे रूठ जाउंगी

------------------अंजु गर्ग