इस होली पे यदि तुम न आए
तो मैं तुमसे रूठ जाऊँगी
किया था जो सखियों से वादा
तुमको उनसे मिलवाऊँगी
कैसे वादा अपना निभा पाऊँगी
इस होली पे यदि तुम न आए
तो मैं तुमसे रूठ जाऊँगी
बना रही हूँ
जो अपने हाथों से
प्रेम रंग
फिर वो किसको लगाऊँगी
इस होली पे यदि तुम न आए
तो मैं तुमसे रूठ जाऊँगी
कैसे तुम्हारे बिना
पकवानों की मिठास चख पाऊँगी
इस होली पे यदि तुम न आए
तो मैं तुमसे रूठ जाऊँगी
मालूम है मुझे तुम
जेठ की छुट्टियों में आओगे
तुम ही बताओ
तब भला मैं कहाँ से
फूलों की बहार लाऊँगी
इस होली पे यदि तुम न आए
तो मैं तुमसे रूठ जाऊँगी
ना मैं तुम्हें
पीली सरसों का हाल बताऊँगी
न पाती भेज कर
गाँव की मिटटी सूँघाऊँगी
इस होली पे यदि तुम न आए
तो मैं तुमसे रूठ जाऊँगी
ना सोमवार को मन्दिर
तुम्हारे लिए जाऊँगी
न देख कर चाँद को मुस्कराऊँगी
इस होली पे यदि तुम न आए
तो मैं तुमसे रूठ जाऊँगी
बादल भइया से कह कर
सावन में तुमको तड़पाऊँगी
ना रिमझिम बरसातों में
मधुर गीत सुनाऊँगी
देख लेना इस होली पे
यदि तुम न आए
तो मैं तुमसे रूठ जाउंगी
------------------अंजु गर्ग