सर झुकाओगे तो पत्थर् देवता हो जायेगा
इतना मत चाहो उसे वो बे-वफ़ा हो जायेगा
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जायेगा
कितनी सच्चाई से मुझसे ज़िन्दगी ने कह् दिया
तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जायेगा
मै ख़ुदा का नाम ले कर पी रहा हूँ दोस्तों
ज़हर भी इस मे अगर होगा दवा हो जायेगा
रूठ जाना तो मोहब्बत की अलामत है मगर
क्या ख़बर थी मुझ से वो इतना ख़फ़ा हो जायेगा
----------बशीर बद्र