इस से पहले कि बेवफ़ा हो जाएँ
क्यूँ न ए दोस्त हम जुदा हो जाएँ
तू भी हीरे से बन गया पत्थर
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ
हम भी मजबूरियों का उज़्र करें
फिर कहीं और मुब्तिला हो जाएँ
अब के गर तू मिले तो हम तुझसे
ऐसे लिपटें तेरी क़बा हो जाएँ
बंदगी हमने छोड़ दी फ़राज़
क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ
क्यूँ न ए दोस्त हम जुदा हो जाएँ
तू भी हीरे से बन गया पत्थर
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ
हम भी मजबूरियों का उज़्र करें
फिर कहीं और मुब्तिला हो जाएँ
अब के गर तू मिले तो हम तुझसे
ऐसे लिपटें तेरी क़बा हो जाएँ
बंदगी हमने छोड़ दी फ़राज़
क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ
--------अहमद फ़राज़